पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा....

रोजाना की तरह पूजा-पाठ करने के बाद आज 10.30 बजे ही तैयार हो गया था. मम्मी को मामा के घर छोड़ना था और फिर ऑफिस जाकर काफी काम निपटाने थे. वैसे तो डेली वीआईपी रोड होकर जाता था, लेकिन आज जीटी रोड से निकल पड़ा. टाटमिल चौराहा क्रॉस करते ही लेफ्ट साइड दो रास्ते जो ऑफिस की ओर ले जाते हैं. यहां मैं थोड़ा कंफ्यूज हो जाता हूं. आज भी वही हुआ और मैं पहले मोड़ से होकर सेंट्रल स्टेशन के बैक साइड वाले रास्ते पर पहुंच गया. पुल पर चढ़ा ही था, तभी एक बूढ़े दादा जो सड़क के किनारे चिलचिलाती धूप में खड़े थे उनपर नजर पड़ गयी. उम्र वही 80-85 के आसपास रही होगी. मैंने बाइक रोककर उनसे पूछा दादा आपको कहां जाना है? इतने में उन्होंने आशीर्वाद देते हुए अपने दोनों हाथों को मेरे पैर की तरफ बढ़ा दिया. ये मुझे थोड़ा ठीक नहीं लगा और मैंने तुरंत उनके चरण स्पर्श किये और बाइक में बिठाकर आगे बढ़ गया. इस बीच दादा रास्ते भर मुझे दिल खोलकर आशीर्वाद देते रहे. आज मेरे पास 30 मिनट का एक्स्ट्रा टाइम था, और दादा की सेवा करने का मौका भी। इसलिए मैंने उनसे पूछा आप कहां जाएंगे मैं आपको घर तक छोड़ देता हूं. उन्होंने बोला कि "बेटा मुझ...